क्या है नया आदेश और किसके लिए है?
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने डिजिटल सुरक्षा को लेकर अब तक का सबसे बड़ा और सख्त कदम उठाया है। एक नए आदेश के मुताबिक, भारत में ऑपरेट करने वाले सभी मैसेजिंग ऐप्स (जैसे WhatsApp, Telegram, Signal, आदि) को अब “SIM Binding” तकनीक को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
आसान शब्दों में कहें तो, अब आप जिस फोन में मैसेजिंग ऐप चला रहे हैं, उस डिवाइस में वह फिजिकल SIM कार्ड मौजूद होना अनिवार्य है जिससे आपने अकाउंट रजिस्टर किया था। अगर आपने सिम कार्ड निकालकर फोन से अलग कर दिया, तो आपका WhatsApp या Telegram काम करना बंद कर देगा।
महत्वपूर्णबिंदु (The What, When, and Who):
किसने दिया आदेश: दूरसंचार विभाग (DoT) ने ‘टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स, 2025’ के तहत यह निर्देश जारी किया है।
डेडलाइन (When): सभी कंपनियों को अपनी तकनीक में बदलाव करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है। यानी फरवरी 2026 तक यह नियम पूरी तरह प्रभावी हो सकता है।
वेब वर्जन के लिए नियम: जो लोग लैपटॉप या कंप्यूटर पर WhatsApp Web का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए भी नियम सख्त हो गए हैं। अब हर 6 घंटे में आपको अपने आप लॉग-आउट कर दिया जाएगा और दोबारा QR कोड स्कैन करके लॉगिन करना होगा।
किन ऐप्स पर असर: यह नियम WhatsApp, Telegram, Signal, Snapchat और अन्य सभी OTT कम्युनिकेशन ऐप्स पर लागू होगा जो मोबाइल नंबर का इस्तेमाल यूजर पहचान के लिए करते हैं।
Why it Matters for India: आम भारतीय यूजर का क्या फायदा?
शुरुआत में यह नियम आपको थोड़ी परेशानी देने वाला लग सकता है, लेकिन अगर हम “कॉमन इंडियन यूजर” के नजरिए से देखें, तो इसके फायदे दीर्घकालिक और सुरक्षा से जुड़े हैं:
ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम पर लगाम: आजकल भारत में ‘डिजिटल अरेस्ट’ और विदेशी नंबरों से आने वाले स्कैम कॉल्स की बाढ़ आई हुई है। जामताड़ा जैसे फ्रॉड अब विदेशी धरती से हो रहे हैं। स्कैमर्स अक्सर एक बार OTP लेकर WhatsApp चालू कर लेते हैं और फिर सिम फेंक देते हैं या उसे फोन में रखते ही नहीं। SIM Binding होने से, अगर स्कैमर के फोन में वह सिम नहीं है, तो वह किसी को ठगने के लिए मैसेज नहीं भेज पाएगा। यह ठीक वैसा ही है जैसे Google Pay या PhonePe बिना सिम वाले फोन में काम नहीं करते।
फेक अकाउंट्स की समाप्ति: टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर लाखों फेक अकाउंट्स चलते हैं जो स्पैम फैलाते हैं। फिजिकल सिम की अनिवार्यता से बॉट (Bot) अकाउंट्स और फेक आईडी बनाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा: कई बार देखा गया है कि एंटी-नेशनल एलिमेंट्स ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है क्योंकि सिम कार्ड कहीं और होता है और ऐप कहीं और चल रहा होता है। सिम बाइंडिंग से जांच एजेंसियों के लिए अपराधी तक पहुँचना आसान होगा।

Future Expectations: आगे क्या होने वाला है?
अगले 3 महीनों में हमें भारतीय डिजिटल स्पेस में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। यहाँ कुछ संभावनाएं हैं:
मल्टी-डिवाइस फीचर में बदलाव: अभी आप एक ही WhatsApp अकाउंट को 4 अलग-अलग फोन्स में ‘Companion Mode’ के जरिए चला सकते हैं। इस नए नियम के बाद, इस फीचर पर ग्रहण लग सकता है या इसे पूरी तरह से बदला जाएगा, क्योंकि “सेकेंडरी फोन” में वह ओरिजिनल सिम नहीं होती।
अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को परेशानी: जो भारतीय विदेश जाते हैं और वहां लोकल सिम लगाकर अपना भारतीय WhatsApp चलाते थे, उन्हें अब दिक्कत आ सकती है। अगर भारतीय सिम फोन से बाहर निकला, तो ऐप बंद हो सकता है।
ऐप्स का रि-इंजीनियरिंग: मेटा (WhatsApp की पैरेंट कंपनी) और टेलीग्राम जैसी कंपनियों को खास भारत के लिए अपनी ऐप को दोबारा कोड करना पड़ेगा। वे शायद सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग करें, क्योंकि करोड़ों यूजर्स के लिए सिस्टम बदलना 90 दिन में मुश्किल है।
वर्क फ्रॉम होम पर असर: जो लोग ऑफिस के काम के लिए पूरा दिन WhatsApp Web पर लॉगिन रहते थे, अब उन्हें दिन में कम से कम 2-3 बार फोन उठाकर QR कोड स्कैन करना पड़ेगा, जो उत्पादकता (Productivity) को थोड़ा प्रभावित कर सकता है।
क्या है हमारी राय: गेम-चेंजर या सिरदर्द?
TechUpdate365 का मानना है कि यह फैसला “कड़वी गोली” जैसा है। निगलने में मुश्किल लेकिन बीमारी (फ्रॉड) के इलाज के लिए जरूरी।
सुरक्षा के लिहाज से देखें तो यह एक गेम-चेंजर (Game Changer) कदम है। बैंकिंग ऐप्स ने जब SIM Binding शुरू की थी, तब भी लोगों को दिक्कत हुई थी, लेकिन आज उसी वजह से UPI दुनिया का सबसे सुरक्षित पेमेंट सिस्टम है। अगर मैसेजिंग ऐप्स भी इसी रास्ते पर चलते हैं, तो यह भारतीय इंटरनेट को काफी साफ-सुथरा बना देगा।
हालाँकि, सुविधा (Convenience) की बलि दी जा रही है। 6 घंटे का लॉग-आउट नियम और मल्टी-डिवाइस सपोर्ट का खत्म होना ‘पावर यूजर्स’ के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या WhatsApp कोई ऐसा बीच का रास्ता निकाल पाता है जिससे सुरक्षा भी बनी रहे और यूजर को बार-बार सिम बदलने या लॉगिन करने का झंझट न हो।
फिलहाल, 90 दिनों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। अपनी सिम अपने फोन में ही रखें, क्योंकि “सिम नहीं, तो व्हाट्सएप नहीं” का दौर बस आने ही वाला है।
