The News: क्या हुआ है?
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी स्मार्टफोन कंपनियों के लिए एक नया निर्देश जारी किया है। 28 नवंबर 2025 को जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक, अब भारत में बिकने वाले सभी नए स्मार्टफोन्स में ‘Sanchar Saathi App’ पहले से इंस्टॉल (Pre-installed) होना अनिवार्य है।
यह नियम Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo और Oppo जैसी सभी बड़ी कंपनियों पर लागू होगा। सरकार ने कंपनियों को इसके लिए 90 दिनों का समय दिया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूजर्स इस ऐप को डिलीट या अनइंस्टॉल नहीं कर पाएंगे। जो फोन पहले से मार्केट में या दुकानों पर हैं, कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए उनमें भी यह ऐप डालना होगा।
Why it Matters for India: आम यूजर के लिए इसके क्या मायने हैं?
यह कदम आम भारतीय यूजर की डिजिटल सुरक्षा के लिए एक बड़ा बदलाव है। इसके सीधे फायदे ये हैं:
चोरी हुए फोन को ब्लॉक करना आसान: संचार साथी का मुख्य काम खोए या चोरी हुए फोन को ट्रैक करना और ब्लॉक करना है (CEIR मॉड्यूल के जरिए)। ऐप फोन में होने से चोरों के लिए फोन बेचना या इस्तेमाल करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
फर्जी कनेक्शन पर लगाम: आप एक क्लिक में जान पाएंगे कि आपके नाम पर कितने सिम कार्ड चल रहे हैं (TAFCOP मॉड्यूल) और जो नंबर आपका नहीं है, उसे तुरंत बंद करवा सकेंगे।
IMEI की जांच: पुराना या सेकंड हैंड फोन खरीदते समय आप ऐप के जरिए तुरंत चेक कर पाएंगे कि फोन का IMEI नंबर असली है या ब्लैकलिस्टेड।
फ्रॉड रिपोर्टिंग: अगर आपको कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आता है, तो ‘चक्षु’ (Chakshu) फीचर के जरिए आप सीधे ऐप से ही उसकी शिकायत कर सकेंगे।
हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स इसे प्राइवेसी के नजरिए से भी देख रहे हैं, क्योंकि एक ऐसा सरकारी ऐप जिसे आप हटा नहीं सकते, कुछ यूजर्स के लिए चिंता का विषय हो सकता है।

Future Expectations: आगे क्या उम्मीद करें?
मार्च 2026 से बदलाव: अगले 3 महीनों के अंदर, आप जब भी नया फोन खरीदेंगे, आपको उसमें यह ऐप इनबिल्ट मिलेगा।
कंपनियों का विरोध: Apple जैसी कंपनियां जो अपने फोन में थर्ड-पार्टी ऐप्स प्री-लोड करने के सख्त खिलाफ रहती हैं, वे इस फैसले का विरोध कर सकती हैं या सरकार के साथ बातचीत कर सकती हैं।
साइबर अपराध में कमी: उम्मीद है कि इस कदम से भारत में मोबाइल चोरी और फर्जी सिम कार्ड से होने वाले स्कैम में भारी गिरावट आएगी।
क्या है हमारी राय ?
हमारी नज़र में यह फैसला “सिक्के के दो पहलुओं” जैसा है।
सुरक्षा की नजर से देखें तो यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। भारत जैसे देश में जहां डिजिटल साक्षरता अभी भी बढ़ रही है, वहां यूजर के फोन में पहले से ही सुरक्षा टूल्स (Pre-loaded Safety Tools) होना उन्हें स्कैम से बचाने में बहुत मदद करेगा। अक्सर लोग जानकारी के अभाव में ऐसे ऐप्स डाउनलोड नहीं करते।
लेकिन, “Bloatware” (अनचाहे ऐप्स) और प्राइवेसी के नजरिए से यह टेक कम्युनिटी के लिए चिंता का विषय है। एक ऐसा ऐप जिसे यूजर चाहकर भी हटा न सके, वह ‘कंट्रोल’ छीनने जैसा लगता है। अगर सरकार यह सुनिश्चित करती है कि यह ऐप बैकग्राउंड में डेटा कलेक्ट नहीं करेगा और केवल यूजर की कमांड पर काम करेगा, तो ही यह पहल पूरी तरह सफल और स्वीकार्य होगी।
फिलहाल, यह कदम भारतीय टेलीकॉम सुरक्षा को अगले स्तर पर ले जाने की एक आक्रामक कोशिश है।
